कुछ दिनों पहले एक article लिखा था english में- why wearing gemstones may not be a good idea. इस article को यहाँ click करने से पढ़ा जा सकता है। इस article को हिन्दी में लिखने के लिए काफ़ी लोगों ने कहा है इसलिए उसी article का हिन्दी अनुवाद प्रस्तुत कर रहा हूँ।
एक सम्मानित पाठक ने मुझे english में यह प्रश्न भेजा है जिसको मैं हिन्दी में translate/अनुवाद कर रहा हूँ:
“एक जाने-माने ज्योतिषी पंडित ने अपने जीवनसाथी के साथ चल रही समस्याओं के निवारण के लिए मुझे अपने दाहिने हाथ की अनामिका ऊँगली पर चांदी की अंगूठी में मूंगा पहनने को कहा है। चूंकि आप मुझे कोई भी रत्न पहनने से मना करते रहे हैं, इसलिए मैं आपसे फिर से अपनी कुण्डली पर पुनर्विचार करने का अनुरोध कर रहा हूँ। मैं उन मंत्रों का नियमित रूप से जाप नहीं कर पाता हूँ जो आपने मुझे दिए थे इसलिए मैंने सोचा कि मूंगा पहनना ही ठीक होगा जिससे मेरे जीवन में कुछ अच्छा हो सकता है। जल्द ही आपसे जवाब की उम्मीद में हूँ। ”
मैं आमतौर पर छोटे articles लिखना पसंद करता हूं। पाठकों के लिए पढ़ना आसान होता है। लेकिन कृपया इस एक पर मेरे साथ रहें। यह लेख थोड़ा लंबा होगा क्योंकि यह मुद्दा व्यापक है और बहुत महत्वपूर्ण है।
अक्सर हम लोगों को अपनी उंगलियों पर रत्न पहने हुए देखते हैं। मैं निम्नलिखित प्रश्न लोगों से बीच बीच में पूछता रहता हूं। आश्चर्य है कि इन प्रश्नों के उत्तर काफी similar होते हैं:
Q.1: क्या ज्योतिषी ने आपको रत्न धारण करते समय उन रत्नों के खराब प्रभावों के बारे में बताया है?
उत्तर: नहीं। कभी नहीँ। लेकिन क्यों? रत्न पहनने से खराब प्रभाव क्यों पड़ेगा?
Q. 2: क्या ज्योतिषी ने आपके चार्ट का विश्लेषण करने से पहले आपके बताऐ जन्म के समय को ठीक किया था?
उत्तर: नहीं। पर क्यों? मेरे जन्म का समय सही है, मुझे यकीन है।
Q.3: क्या रत्न पहनने से आपकी समस्याएं हल हो गई हैं? क्या आप अभी एक समस्या मुक्त व्यक्ति हैं?
उत्तर: मेरी समस्याएं हल नहीं हुई हैं, लेकिन मुझे आशा है कि रत्न मेरे अच्छे के लिए ठीक ही काम कर रहे होंगे।
Q.4: क्या ज्योतिषी ने आपको एक ऐसा स्थान / दुकान बताई है जहाँ से आपको रत्न प्राप्त करने के लिए कहा गया है?
उत्तर: मैंने जिन लोगों से यह सवाल किया है उनमें से कई ने कहा कि नहीं। लेकिन कई ने कहा कि हाँ, विशेषकर जो लोग ज्योतिषी को परामर्श शुल्क या fees देते हैं।
Q.5: क्या ज्योतिषी ने आपको बताया था कि आपको किस तिथि तक रत्न पहनना है?
उत्तर: नहीं।
उपरोक्त्त के अलावा रत्न पहनने के विभिन्न कारण लोग बताते हैं जैसे:
• मैंने रत्न इसलिए पहना कि मेरे लिए कुछ भी अच्छा नहीं हो रहा था।
• मैंने सोचा कि किसी रत्न को पहनने का नुकसान क्या है।
• मेरे माता-पिता या जीवनसाथी ने मुझे यह पहनने के लिए कहा है।
• मुझे लगता है कि रत्न मुझे बहुत फ़ायदा कर रहा है। इसलिए, मैं इसे पहनना बंद नहीं कर रहा हूं।
• पहले भी अन्य रत्नों को पहन चुका हूँ, लेकिन मुझे उम्मीद है कि यह वाला रत्न इस बार मेरे जीवन में अच्छे के लिए स्थितियों को बदलने वाला है।
• मैं ज्योतिष या रत्नों में विश्वास नहीं करती। मैं इसे सिर्फ फैशन के लिए पहन रही हूं।
• यह रत्न बस मुझे अच्छा लग रहा है।
• मैंने पहले से ही ज्योतिषी को पैसे दे रखे हैं, इसलिए मुझे लगा कि मुझे उसके द्वारा बताऐ रत्नों को भी पहन लेना चाहिए
• मैं रत्न को पता नहीं कब से और क्यों पहन रही हूँ, क्या फ़र्क पड़ता है?
रत्नों की अवधारणा (concept):
रत्नों को वेदिक ज्योतिष में उपचार/उपाय के रूप में सुझाया जाता है। ज्योतिष में तीन तरह के उपाय बताए गए हैं: सात्विक, राजसिक और तामसिक। सात्विक उपाय वेदिक मंत्र होते हैं जिनका कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है। तामसिक उपायों में तंत्र आते हैं जिनके दुष्प्रभाव बहुत अधिक हैं। रत्न राजसिक उपायों के अंतर्गत सुझाया जाते हैं।
कुंडली के आधार पर यह कहा जा सकता है कि रत्नों से कहाँ लाभ होगा कहाँ हानि। पीवीआर नरसिम्हा राव (जगन्नाथ होरा सॉफ्टवेयर के निर्माता और ज्योतिष के शोधकर्ता) अपने व्याख्यान में कहते हैं कि रत्न पहनना पिछले जन्मों के ऋणों को चुकाने के लिए ऋण लेने जैसा है, जो कि नकारात्मक विधि है। श्री राव बिल्कुल ठीक कहते हैं। हम ऋण चुकाने के लिए ऋण नहीं लिया करते। हम इसके बजाय कड़ी मेहनत करते हैं, हमारे कर्मों को भुगतते हैं और पिछले जन्म के कर्जों को चुकाते हैं।
यह माना जाता है कि रत्न पहनने से किसी ग्रह से मिल रही उर्जा में तबदीली आती है और इस प्रकार ग्रह अपनी natural क्षमता से हट कर परिणाम देने लगता है। इससे temporary फ़ायदे भी हो सकते हैं और नुकसान भी।ज्योतिषि कहते हैं कि जिस ग्रह का रत्न आप पहन रहे हैं वह ग्रह मजबूत हो रहा है।
यदि ग्रह मजबूत हो जाता है और अच्छा परिणाम भी दे सकता है तो रत्न पहनने में क्या नुकसान है? क्या यह उपयोगी और वांछनीय नहीं है?
नहीं, यह अच्छा नहीं है जब तक कि आप उन नकारात्मक या negative परिणामों को नहीं जानते जो रत्न पहनने की वजह से मिल रहे हैं। महर्षि पराशर ने षोडश वर्ग चक्रों के बारे में बताया है। ये 16 वर्ग चक्र अथवा Divisional Charts हैं जो जीवन के सभी क्षेत्रों के बारे में हैं। उदाहरण के लिए: सप्तांश (D-7) बच्चों के लिए है, नवमांश (D-9) भाग्य और परिवार / पति / पत्नी के लिए है, दशांश (D-10) कैरियर के लिए है, द्वादशांश (D-12) माता-पिता के लिए है आदि।
समस्या तब होती है जब ज्योतिषी विभिन्न समस्याओं जैसे परिवारिक, संतान सम्बन्धी, career सम्बन्धी आदि प्रश्नों के लिए सिर्फ़ राशी चक्र (D-1) देखते हैं, उसी में अच्छे ग्रहों को देखते हैं और उन्हीं ग्रहों के रत्न पहनने को बता देते हैं। इस विधि से काम करना ज्योतिषि के लिए बेहद आसान होता है। उदाहरण के लिए, यदि राशी चक्र में आपका दसवें का स्वामी शनि है, तो ज्योतिषी नीलम को कैरियर की समस्याओं को ठीक करने के लिए निर्दिष्ट कर देंगे। इसी प्रकार, यदि मंगल योगकारक है, तो सभी प्रकार की समस्याओं से निपटने के लिए मूँगा पहनने के लिए कह देंगे।यह रत्न बताने का बिल्कुल ग़लत तरीका है। राशी चार्ट हमारे पूरे अस्तित्व के बारे में बताता है। हम वर्ग चक्रों के महत्व को कम नहीं आँक सकते। आम तौर पर, राशी चक्र से शारीरिक स्वास्थ्य इत्यादि अच्छे से देखा जा सकता है, लेकिन विशिष्ट समस्याओं के लिए, संबंधित वर्ग चक्र को देखना आवश्यक है। यदि हमें राशी चार्ट में अच्छे ग्रहों का रत्न पहनना है, चाहे हम किसी भी समस्या का सामना कर रहे हों, हम किसी free software से अपनी कुंडली बनाकर इसे स्वयं कर सकते हैं। क्यों हम किसी ज्योतिषि को पैसे दें ऐसे काम के लिए जिसे हम खुद ही कर सकते हैं ? यदि आप पुरानी classical ज्योतिष की किताबें पढ़ें तो आप जानेंगे कि ऐसा करना ग़लत ही नहीं, खतरनाक भी हो सकता है।
प्रकृति का मूल सिद्धांत है “ऊर्जा न तो पैदा की जा सकती है और न ही नष्ट की जा सकती है“। कुंडली के साथ-साथ ऊर्जा के संरक्षण का भी यही नियम है। यदि हम किसी विशेष वर्ग चक्र में किसी ग्रह को “मजबूत” कर रहे हैं, तो हम अनिवार्य रूप से जीवन के किसी अन्य क्षेत्र से ऊर्जा स्थानांतरित या transfer कर रहे हैं। यह बहुत ही सरल concept है।मान लीजिए, शनि राशी चक्र में लग्नेश है। लग्न घर मकर राशि का है और हमें बच्चों से संबंधित समस्याओं (D-7 वर्ग चक्र) को देखना है। और यदि शनि D-7 में 8 वें घर का स्वामी है (8वाँ घर tensions ,anxieties, surprises का होता है जो कष्टों से जोड़कर देखा जाता है)। मान लीजिए कि कोई व्यक्ति हमें नीलम (नीला नीलम) इस तर्क के साथ पहनने के लिए कहता है कि शनि मजबूत हो जाएगा और बच्चों से जुड़ी समस्या के हल में मदद करेगा। यह सही है कि नीलम समग्र स्वास्थ्य को सुधारने में सहायता करेगा (शनि लग्नेश है)। यह जीवन संसाधनों को बढ़ाने में भी मदद करेगा (दूसरा घर अर्थ त्रिकोण का बीज होता है)। लेकिन बच्चों का क्या ?? शनि को मजबूत करना जो कि D-7 (सप्तांश) में 8 वां स्वामी है, बच्चों से संबंधित पर्यावरण के लिए हानिकारक होगा। समस्या को हल करने के बजाय, नीलम पहनना बच्चों के मुद्दे को जटिल बना सकता है, भले ही यह हमें अधिक संसाधन दे और स्वास्थ्य में सुधार करे।
ज्योतिषि को चाहिऐ कि कोई भी रत्न सुझाते समय प्रमुख वर्ग चक्र में ग्रह के स्थान को देखना चाहिए, जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में इसके लाभ और हानियों को समझना चाहिए और फिर हमें बताकर हमसे पूछना चाहिऐ कि रत्न से हम लाभ लेना चाहते हैं तो क्या उससे हो रहे नुकसान उठाने के लिए हम तैयार हैं या नहीं।
एक अन्य समस्या है time rectification अर्थात् जो जन्म समय आप बता रहे हैं वह सही है कि नहीं यह देखना। रत्न सुझाने से पहले यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि रिपोर्ट किए गए जन्म का समय सही है। यह बहुत महत्वपूर्ण है। जन्म समय सुधार के महत्व के बारे में जानने के लिए कृपया यहाँ पढ़ें। जैसे ही हम उच्चतर वर्ग चक्रों की ओर बढ़ते हैं, किसी भी राशा में लग्न तेजी से बदलता है। मान लीजिए कि हम दुर्घटनाओं से बचना चाहते हैं और वाहन सुख को बढ़ाना चाहते हैं। इसके लिए राशी चक्र के अलावा हमें षोडशांश (D-16) चार्ट देखना होगा। मान लीजिए कि मंगल D-16 में (खराब मंगल के लिए) पहनने का फैसला कर रहे हैं और बताऐ जन्म समय के अनुसार मंगल ग्रह षोडशांश (D -16) में 8वें का स्वामी है और 5वें घर में 29 डिग्री 40 मिनट पर स्थित है. आपके बताऐ जन्म समय के हिसाब से मंगल ग्रह पाँचवे का स्वामि है और यह देखकर ज्योतिषि हमें 5वे घर से लाभ लेने के लिऐ मूंगा पहनाते हैं। यदि जन्म समय में कुछ सैकंड का error या त्रुटि है जिसे सही सही नहीं किया गया तो मंगल की स्थिति D-16 वर्ग चक्र में 6 वें घर में भी हो सकती है। 6वाँ घर समस्याओं का घर माना जाता है और इस स्थिति में मूँगा पहनना विनाशकारी हो सकता है एवं वाहन सुख लोप और accidents को बढ़ावा दे सकता है।
तो फिर हमें रत्न कब पहनना चाहिए?
ज्योतिष में रत्नों का उपायों में महत्वपूर्ण स्थान है। लेकिन कृपया रत्न चुनने से पहले निम्नलिखित बातें सुनिश्चित करें:
→ ज्योतिषी ने जन्मकुंडली में आपके बताऐ जन्म समय को ठीक किया है।
→ ज्योतिषी ने विशेष रूप से जीवन के 16 क्षेत्रों में रत्न से हो रहे सकारात्मक और नकारात्मक प्रभावों से आपको अवगत कराया है।
→ ज्योतिषी ने एक निर्धारित अवधि दी है, जब तक कि रत्न पहनना चाहिऐ।
→ स्थिति बहुत गंभीर है और एक राजसिक उपाय ही एकमात्र रास्ता दिखता है।
तो फ़िर सात्विक और तामसिक उपाय क्यों न किऐ जाऐं?
तामसिक उपचार बिल्कुल नहीं किेए जाएँ । तामसिक उपाय जैसे तंत्र वगैरह बहुत ही गलत साबित हो सकते हैं अगर कोई ऊर्जा के हस्तांतरण को नहीं समझता है। तन्त्र में जाना उचित नहीं है। (Disclaimer: मुझे तंत्र की बहुत समझ नहीं है)।
सात्विक उपचार या मंत्र सबसे प्रभावी उपाय हैं जो मैंने उन सैकड़ों व्यक्तियों पर व्यावहारिक रूप से काम करते हुए देखे हैं जो मुझे अपनी इस ज्योतिष यात्रा में मिले हैं। मैं निश्चित रूप से केवल सात्विक उपचार (मंत्र इत्यादि) के लिए ही सलाह दूंगा क्योंकि उनका कोई दुष्प्रभाव नहीं है और उन उपायों से कोई जोखिम नहीं है।मंत्रों को करने में कर्म शामिल होता है। यह पिछले ऋणों को चुकाने के लिए ऋण लेने जैसा नहीं है। जब हम मंत्रों का जप करते हैं तो कुछ कर्म या कार्य करते हैं। हमें सकारात्मक और खुशहाल बनाने के लिए मंत्रों की बहुत ही उपयोगी भूमिका है। हमें अपने कर्मों को स्वयं भुगतना पड़ता है। कोई भी हमारे लिए हमारे कर्मों को नहीं भुगत सकता।
तो फ़िर ज्योतिषी रत्नों की बजाय मंत्र क्यों नहीं बताते हैं?
सिर्फ इसलिए कि अधिकांश ज्योतिषी कभी भी मंत्र और मंत्र ग्रंथों को सीखने के लिए मेहनत नहीं करना चाहते। इसके लिए कई वर्षों तक लगातार साधना और लगन से पढ़ाई करनी पड़ती है। खासतौर पर ऐसे लोग जो संस्कृत नहीं जानते हैं, उनके लिए मंत्रों को याद करना चुनौतीपूर्ण है।इसी लिऐ सबसे आसान तरीका है रत्न बता देना। कुछ ज्योतिषी हैं (विशेषकर जो परामर्श के लिए शुल्क लेते हैं), जो केवल विशिष्ट दुकानों से रत्न खरीदने पर जोर देते हैं, यह कहकर कि रत्न की शुद्धता महत्वपूर्ण है। संभवतः कुछ कमीशन भी लेते होंगे। दुर्भाग्य से, कुछ विद्वान ज्योतिषी जो मंत्रों को जानते हैं, वे मंत्र बताने के लिए देवताओं के नाम पर भारी दान लेते हैं। कुछ लोग पूजा के नाम पर पैसा ले लेते हैं।
RationalAstro वेबसाइट के माध्यम से, मैंने नक्षत्र सूत्रं सहित दुर्लभ मंत्रों को रिकॉर्ड करके सभी तक पहुँचाने की कोशिश की है। इन्हें किसी भी समय मुफ्त डाउनलोड किया जा सकता है। मैं और भी मंत्र अपलोड करता रहूंगा ताकि लोगों को उस चीज के लिए भुगतान न करना पड़े जो हमारे महान ऋषियों ने इस दुनिया को मुफ्त में दी हैं।
कुल मिलाकर मैं यही कहूँगा कि रत्न पहनना हमें लाभ से अधिक नुकसान पहुँचा सकता है। हमें रत्न धारण नहीं करना चाहिए जब तक कि हम यह न जान लें कि यह किस प्रकार सकारात्मक और नकारात्मक रूप से हमें प्रभावित कर रहा है और यह भी कि हमारी जन्म कुंडली एक सही जन्म समय से बनी है। हमें हमेशा मंत्रों पर जोर देना चाहिए क्योंकि वे रत्न पहनने की तुलना में अधिक प्रभावी होते हैं।
ऊँ तत् सत्।।